कुछ इस तरह तुझसे इश्क़ हुआ था मुझे

कुछ इस तरह तुझसे इश्क़ हुआ था मुझे
तेरी नज़रों में फिरदौस दिखा था मुझे

आफ़ताब को जब भी एकटक देखता था
बस तेरा ही ख्याल आता था मुझे

इस जहाँ में मेरे लिए कुछ भी नया न था
तुझे मिलकर एक नया जहाँ मिल गया था मुझे

हूरों की वैसे तो यहाँ कोई कमी नहीं
पर तेरे हुस्न ने ही ज़िंदा किया था मुझे

इबादत से जैसे रूह महक उठती है
तेरी खुशबू ने वैसे महकाया था मुझे

तेरी सादगी का इस जहाँ में तो कोई जवाब नहीं
कि रूह तलक जिसने छू दिया था मुझे

तुझे सोचते, वक़्त, न जाने कब कट जाता था
हर लम्बा सफर भी छोटा लगता था मुझे

मेरे दोस्तों ने कई महफिलें सजाई थीं
तेरे बिना हर समां अधूरा लगा था मुझे

चाहे ख्वाब चाहे हक़ीक़त से चला आता हो
पर हर लम्हा तेरी ही याद दिलाता था मुझे

कभी मस्ती कभी उदासी में डूबा देता था
तेरी याद का हर लम्हा कभी हंसाता कभी रुला देता था मुझे

वैसे तो ये दुनिया बहुत बड़ी है
तेरे इश्क़ का हर एहसास बस तुझमें ही समेट देता था मुझे

अपने काम में मशगूल होने में मेरा कोई नाम न था
तेरी याद में मशगूल होने ने कुछ तो बदनाम किया था मुझे

तुझे मिल के में सारी नफरतों को भुला था
कुछ अपनों ने तेरे इश्क़ से जल के नफरत से देखा था मुझे

जाने कितने सवाल मेरे जेहन में उलझे से थे
तुझे देख के खुद के होने का जवाब मिल गया था मुझे

आवारगी में कभी ये अरमान कभी वो अरमान जगाता था
तुझे मिल के एक बस तेरा अरमान हुआ था मुझे

कोई मंदिर में आरती सुने कोई मस्जिद में सुने अज़ान
तेरे इश्क़ में खोके वही सुकून मिलता था मुझे

तेरी खुशबू से सारा शहर ही महकता था
हर गली हर चौराहे ने न जाने कितना दौड़ाया था मुझे

ताउम्र कोई चीज़ काम की न लगी मुझको
तुझसे इश्क़ करना पहला काम का काम मिला था मुझे

सुनसान सड़क सी मैंने ये ज़िन्दगी गुज़ारी थी
तुझे मिल के कई महफिलों का मज़ा मिला था मुझे

चाँद छूने को न जाने कितने ही बेक़रार होते होंगे
तुझे पाने की बेक़रारी में ही क़रार मिलता था मुझे

मेरे पास कुछ न था जिसकी मैं कोई बात करूँ
तुझे इश्क़ करके पहली बार गुमान हुआ था मुझे

वैसे चाहत की बारिशें हर किसी को नहीं भिगातीं
मेरा नसीब था तेरे इश्क़ ने भिगोया था मुझे

इस जहाँ में कोई शराब ऐसी नशीली नहीं
तेरे इश्क़ में जैसा नशा हुआ था मुझे

सांस एक बार आती है एक बार जाती है
तेरे इश्क़ में तो हर दम ही आराम मिला था मुझे

दुनिया में कोई डर ऐसा नहीं जो मुझे हरा सके
पर तेरे बिछड़ने के डर ने कई बार हराया था मुझे

बिन सोचे समझे बोलने की यूँ तो मेरी आदत नहीं
न जाने क्यों बिन बात मेरे होठों ने पुकारा था तुझे

दुआएं कैसे करते है मुझे मालुम न था
आसमान को देख हर रोज़ मैंने माँगा था तुझे

जाने कैसे तू मुझसे मिलने को राज़ी हुई
शायद मेरी दुआओं के असर ने बुलाया था तुझे

खुदा की नेमतों पे वैसे हर किसी का हक़ है
तुझे इश्क़ करने का हक़ बस मिला था मुझे

खुद के लिए तो मैंने कोई सिफारिश न की थी
जाने कैसे तेरे इश्क़ से रब ने नवाज़ा था मुझे

पहली मुलाक़ात का जब तोहफा तू ले आई थी
मदहोशी के आलम ने घेरा था मुझे

तुझे कहने को जो बातें सोची थीं, मैं कह न सका
पर आँखों ही आँखों में तूने समझा था मुझे

तुझे इश्क़ करना ही एक काम मेरे पास था
दूसरे हर काम से मेरे दिल ने दूर भगाया था मुझे

तू हर वक़्त पास रहे दिल यही दुहाई देता था
मेरे दिल ने इस क़दर कम्बख्त बनाया था मुझे

दिन को तेरी राह तकना रात में घड़ियाँ गिनना
तेरे इश्क़ ने कुछ ऐसा पागल बनाया था मुझे

तुझे मिलना तुझे सोचना बस यही ज़िन्दगी थी मेरी
तेरे इश्क़ ने आशिकी में ऐसा सरताज बनाया था मुझे

अपने इश्क़ का वो दौर कुछ ऐसा चला था
जैसे इश्क़ करने को रब ने सिर्फ तुझे और सिर्फ बनाया था मुझे

तेरे छूने का एहसास अब तक मेरी रूह में ज़िंदा है
वो एक छुअन से तूने अपनाया था मुझे

दिवाली ईद तो लोग एक बार मानते है
तेरे इश्क़ ने जश्न मनाने को हर रोज़ बुलाया था मुझे

तू जब भी मिलने आती थी हज़ार खुशियाँ साथ ले आती थी
और हर बार तेरे जाने ने कितना तड़पाया था मुझे

तेरी बातें मुझे कितना बैचैन करती थीं
और बस तेरी आवाज़ से ही चैन आता था मुझे

तेरे इश्क़ में सब से पराया हो चला था
और तेरे इश्क़ में सबने ही ठुकराया था मुझे

तेरे सिवा मैंने कभी न कोई परवाह की
तेरे सिवा कभी न कुछ और याद आया था मुझे

मेरे तेरे इश्क़ के खुमार में झूमता ही रहा
जाने कब इस ज़माने की नज़र लग गई मुझे

तुझे मिलने आना था और तू मिलने न आई
अब कभी न मिलने आएगी ये न कहलाया था मुझे

तेरे इंतज़ार में कितने ही ही दिन में वहीँ खड़ा रहा
कितने ही दिन तू आएगी ये कहकर दिल ने बहलाया था मुझे

दिल रोज़ तसल्ली देता था
तू छोड़ मुझे न पायेगी ये दिल ने समझाया था मुझे

पैग़ाम मिला तू चली गई
कैसे मैं रहूँगा न एक बार मेरा ख्याल आया था तुझे

तेरे पास होने पे सब अच्छा लगता था
तेरे दूर जाने पे वक़्त ने भी क्या खूब रुलाया था मुझे

जिन भी जगहों पे तू मिली थी
तेरे जाने के बाद कितनी दफा सबने बुलाया था मुझे

तेरे साथ जीना चाहता था मैं तेरे साथ रहना चाहता था
जाने क्या खता हुई जो रब ने छीना था तुझे

तेरे बिन जीना मुश्किल था
तो मेरे दिल ने फिर न जीने दिया मुझे

तुझे इश्क़ करने से पहले मैं ज़िन्दगी में आज़ाद था
तुझे इश्क़ करके ज़िन्दगी ने आज़ाद किया था मुझे

आज जाने कैसे तू फिर यहाँ चली आई है
जहाँ पहली दफा रब ने तुझसे मिलवाया था मुझे

मैं कल यहीं था मैं अब भी यहीं हूँ
जहाँ मेरा नसीब फिर से ले आया है तुझे

काश तुझे रब ये बता दे कि मैं अब न रहा
पर तुझे इश्क़ न करूँ ये अब भी गंवारा नहीं मुझे
तुझे मैं इश्क़ न करूँ ये कभी भी गंवारा नहीं मुझे..

ईशांश

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