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Hindi Thoughts

नेपाल डिज़ास्टर

25 अप्रैल दिन शनिवार को मैं अपने घर अलीगढ कुछ काम से गया था| मैं सुबह करीब 11 बजे घर पहुंचा| मम्मी पापा से बातें कर ही रहा था कि अचानक से लगा चक्कर सा आ रहा है| सब लोगों ने एक दूसरे की तरफ देखा और अचानक से मेरा छोटा भाई बोला “अरे कहीं भूकम्प तो नहीं आ रहा”, इतना कहकर उसने टीवी का स्विच ऑन कर दिया| “आज तक” पर न्यूज़ चल रही थीं, “नेपाल में भूकम्प के झटके महसूस किये गए”, “भूकम्प की तीव्रता रिकटर पैमाने पे 7 .9 मापी गई”, “भारी जान माल का नुकसान होने का अनुमान”| थोड़ी देर हम लोग इसी के बारे में चर्चा करते रहे और मैं अपने काम से निकल गया क्यूँकि मुझे वापस उसी दिन गुडगाँव लौटना था| न मैंने, और न ही मेरे घर पे किसी ने इसको बहुत गंभीरता से लिया|

अपना काम ख़त्म करके मैं वापस गुडगाँव लौटा, शाम को करीब 7:30 बजे मैं घर पहुंचा और ईशा (मेरी वाइफ) से बोला “तुम्हें पता चला, आज भूकम्प आया था”. ईशा बोली, “हाँ स्कूल में भी सब लोग बोल रहे थे लेकिन मुझे तो महसूस नहीं हुआ”| मैंने तुरंत टीवी ऑन करके न्यूज़ चैनल लगाया| भारत में नेपाल के राजदूत से बातें चल रही थी और मीडिया वहां के जान माल के नुकसान की जानकारी उनसे ले रहा था| मैंने उन्हें कहते हुए सुना कि नेपाल में करीब 100 से ज्यादा लोगों के मरने की खबर है और ज्यादा नुकसान नेपाल की राजधानी काठमांडू में हुआ है| मुझे और मेरी वाइफ को बहुत अफ़सोस हुआ| शाम को एक बार फिर जब न्यूज़ ऑन की तो पता चला कि मरने वालो की संख्या 850 से ऊपर निकल गई है| अगले दिन रविवार को जब सुबह न्यूज़ ऑन की तो पता चला कि 2200 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और जब मैं ये आर्टिकल लिखने बैठा तो करीबन 4300 के मरने की खबर थी| और अभी भी ये आंकड़ा बढ़ सकता है| भारत में भी करीब 60 से ज्यादा लोग मर चुके हैं और ज्यादा तर बिहार में जान माल का नुकसान हुआ है| वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे भी ज्यादा तीव्रता का और इससे भी ज्यादा नुकसान कर सकने वाला भूकम्प अभी आ सकता है, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पे 9 हो सकती है और सबसे ज्यादा खतरे में दिल्ली और उसके आस पास के क्षेत्र है|

पिछले कुछ समय में कई ऐसे नेचुरल डिजास्टर हो चुके हैं जिनमें काफी लोग मारे जा चुके हैं| पिछले साल 2014 में सितम्बर में जम्मू और कश्मीर में जो बाढ़ आई थी, उसमें करीब 450 से ज्यादा लोग मारे गए थे| इसी साल कुछ ही दिन पहले बिहार में जो तूफान आया था, उसमें करीब 55 लोग मारे गए थे| ये घटनाएँ अब आम होती जा रही हैं| कुछ महीने या कुछ दिन बाद ऐसा कुछ न कुछ सुनने में आ ही जाता है|

मुझे लगता है कि अब सबको, न सिर्फ मुझे, या वे जो इस आर्टिकल को पढ़ रहे हैं बल्कि भारत की केंद्र सरकार को, दिल्ली सरकार को, हर राज्य सरकार को, हर शहर के नगर निगम को, हर गांव की ग्राम पंचायत को, हर भारतीय को और शायद इस विश्व के हर व्यक्ति को एक आत्म मंथन करने की ज़रुरत है| शायद कहीं न कहीं ये सब घटनाएँ नेचर की तरफ से हम लोगों को एक इंडिकेशन है कि अब हम  सबको एक नियंत्रित और अनुशासित जीवन जीने जी ज़रूरत है| सरकारों को एक इंडिकेशन है कि अब वे ऐसे उपाय निकालें कि भविष्य में इस तरह कि घटनाएँ कम हों और अगर हों तो उनमें कम से कम जान माल का नुकसान हों| उद्योगपतियों को एक इंडिकेशन है कि वे अपने उद्यमों से वातावरण को कम से कम दूषित करें|

हम मनुष्यों ने हमेशा नेचुरल रिसोर्सेज का उपभोग किया है, चाहे वो पानी हो, हवा हो या मिटटी| और विश्व के हर व्यक्ति की अब ये नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि अब वे इनका दुरूपयोग करने से बचें| आज कल मैं देखता हूँ कितने ही संस्थान वातावरण को प्रदूषित होने से रोकने के लिए काम कर रहे हैं| हमें जागृत कर रहे हैं कि हम कम से कम बिजली की खपत करें, पानी केवल ज़रूरत के हिसाब से ही इस्तेमाल करें, ऑफिस जाने कि लिए कार पूलिंग करें जिसके कि कम से कम पेट्रोल डीजल खर्च हो, पेड़ पोधे लगाएं और अगर ऐसा न कर सकें तो घरों में या घर की छतों पर गमले लगाएं, स्मोकिंग न करें, कम से कम कागज़ों का इस्तेमाल करें, कम से कम प्लास्टिक पोलिथिन का इस्तेमाल करें और उन्हें सड़कों पे न फेंके| हम सभी जानते हैं कि एक न एक दिन ये रिसोर्सेस खत्म हों जायेंगे तो इनका एक एक कतरा सोच समझ के खर्च करना चाहिए|

अब अगर हमारे यहाँ की केंद्र या राज्य सरकारों की बात करें तो वातावरण और रिसोर्सेज के लिए कई बड़ी जिम्मेदारियां उनकी भी बनती हैं, जिन्हें शायद वे निभाएं तो इस तरह की घटनाओं को न सिर्फ कम किया जा सकता है बल्कि ऐसा होने पे बहुत कुछ नुकसान होने से बचाया भी जा सकता है| मैं देखता हूँ की दिल्ली एनसीआर रीजन में न जाने कितना कंस्ट्रक्शन चल रहा है, ये जानते हुए भी कि ये सारा एरिया डेंजर जोन में है, फिर भी पता नहीं क्यों दिल्ली, यू पी और हरयाणा की सरकारें यहाँ बिल्डिंग्स पे बिल्डिंग्स खड़ी करने की इज़ाज़त दे रही हैं| उन्हें देखने और समझने की ज़रूरत हैं कि क्या उन्होंने लोगों और संपत्ति को बचाने के लिए भूकम्प जैसे नेचुरल डिजास्टर को झेलने की ज़रूरी तैयारियां कर रखी हैं? अगर नहीं तो मैं समझता हूँ कि बिना देरी किये अब ये तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए| एक बेहतर भविष्य के लिए बेहतर वातावरण और बेहतर सुरक्षा बहुत ज़रूरी है|