मैं रुका नहीं
मैं झुका नहीं
आशा का दीप अभी बुझा नहीं
जब तक है साँस लडुंगा मैं
मैं थका हूँ लेकिन मरा नहीं
तुमने मुझको अभी बांधा है
कर्ज़ों के बोझ से लादा है
सपनों के पंख लगा कर मैं
पंछी बन कर उड़ जाऊंगा
जीवन भर जो बांधे मुझको
पिंजरा कोई ऐसा बना नहीं
जब तक है साँस लडुंगा मैं
मैं थका हूँ लेकिन मरा नहीं
हैं तुमने कुछ उपकार किये
ऋण सभी के मैंने चुका दिए
फिर भी तुमने नहीं छोड़ा है
मंज़िल का रस्ता मोड़ा है
मंज़िल मैं पा ही जाऊंगा
है अब वो मुझसे दूर नहीं
जब तक है साँस लडुंगा मैं
मैं थका हूँ लेकिन मरा नहीं
जो चाहा वो मिल जायेगा
मुरझा ये पुष्प खिल जायेगा
काँटों के इस वन जीवन मैं
परमार्थ मुझे मिल जायेगा
कोशिशें की तुमने डिगाने की
कर्मपथ से मैं कभी डिगा नहीं
जब तक है साँस लडुंगा मैं
मैं थका हूँ लेकिन मरा नहीं
मैं रुका नहीं
मैं झुका नहीं
आशा का दीप अभी बुझा नहीं
The poem motivates you to achieve your goals. Whatever you doing, wherever you are stuck, don’t forget your goals and when feel suitable, give them a hit.
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Awesome one buddy. I know you will achieve it
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