“वो वक़्त भी आ जायेगा”

एक सूरज नया उग जायेगा
रोशन मुझे कर जायेगा
जो हर तरफ घेरे मुझे
अँधेरा ये मिट जायेगा
वो वक़्त भी आ जायेगा ||

कर के साजिश चांदनी संग
मुझपे सितारे हँसते हैं
चाँद पैरों के तले जब
खुद-ब-खुद आ जायेगा
वो वक़्त भी आ जायेगा ||

इक डाल से चिपके परिंदे
ये मुझको ताने देते हैं
आसमां आ कर के खुद
जब मुझे पंख लगाएगा
वो वक़्त भी आ जायेगा ||

अभी हाथ मेरे खाली हैं
आँखें अभी भी प्यासी हैं
पर देख के जलवा मेरा
जलवा भी खुद शरमाएगा
वो वक़्त भी आ जायेगा ||

वो पूछें हलके झोकें से
क्यूँ टूटे दिल शीशा मेरा
कांच के इस टुकड़े से जब
पर्वत भी बिखर जायेगा
वो वक़्त भी आ जायेगा ||

कतार में वो सब खड़े हैं
इक ख़िताब की होड़ में
नाचीज़ नाम ये एक दिन
जब इनाम खुद बन जायेगा
वो वक़्त भी आ जायेगा ||

नाकामी का एक कांटा
दिल में अब भी चुभता है
कभी इक कोई बुलंदी
का नशा चढ़ जायेगा
वो वक़्त भी आ जायेगा ||

आई न मेरी एक सुबह
आई न कोई शाम मेरी
इक रात मेरी हो जाएगी
जब दिन मेरा निकल आएगा
वो वक़्त भी आ जायेगा ||

ज़िन्दगी ये थोड़ी निकल गई
आँखें भी अब धुंधला रहीं
क़दमों में अब कम जान है
हैं साँसे भी घबरा रहीं
पर अब भी नहीं जो टूटता
वो हौसला शिखर चढ़ जायेगा
वो वक़्त भी आ जायेगा ||
वो वक़्त भी आ जायेगा ||

-मंजुसुत ईशांश

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