यादों की डगर..

कोई और राह तो है नहीं
जो हमको कहीं मिलाती है..
बस यादों की एक डगर है
जो तुझे मुझ तक,
और मुझे तुझ तक ले के जाती है..

इस डगर के एक सिरे पे
मैं कब से चल रहा हूँ,
तू उधर से आती होगी
तेरी राह मैं तक रहा हूँ..
कोई और सहारा है नहीं
कि मुझे तसल्ली आती है..
बस यादों की एक डगर है
जो तुझे मुझ तक,
और मुझे तुझ तक ले के जाती है..

कोई पत्ता कहीं गिरता है
तेरी पायल सा बजता है,
बेचैन मैं हो जाता हूँ
तुझे कहीं नहीं पाता हूँ..
फिर राह वही चलता हूँ
कि आस वहीँ से आती है..
बस यादों की एक डगर है
जो तुझे मुझ तक,
और मुझे तुझ तक ले के जाती है..

मालूम है तेरी आदत
तू देर हमेशा करती थी,
और मेरी वही शिकायत, घर से
जल्दी क्यों न निकलती थी..
इस डगर पे किसने रोका है
क्यूँ अब तक नहीं तू आती है..
बस यादों की एक डगर है
जो तुझे मुझ तक,
और मुझे तुझ तक ले के जाती है..

तेरा साया नज़र आता है
दिल कमल सा खिल जाता है..
ये कदम तेज़ हो जाते हैं
जब तेरा आँचल लहराता है..
अब हम-तुम मिलने वाले हैं
कोयल भी गुनगुन जाती है..
बस यादों की एक डगर है
जो तुझे मुझ तक,
और मुझे तुझ तक ले के जाती है..

मध्धम सी बहती पवन में
अब तेरी ही खुशबु आती है..
धड़कनें ये बढ़ने लगती हैं
जब पास मेरे तू आती है..
अब दूर कहीं तू न जाये
आरज़ू ये मेरी सुनाती है..
बस यादों की एक डगर है
जो तुझे मुझ तक,
और मुझे तुझ तक ले के जाती है..

कोई और राह तो है नहीं
जो हमको कहीं मिलाती है..
बस यादों की एक डगर है
जो तुझे मुझ तक,
और मुझे तुझ तक ले जाती है..

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