कोई क्या जाने
कैसे बीती..
कोई क्या जाने
कि क्या बीती..
न दिल ये मेरा कुछ
कभी कह पाया
दिल की सब बातें
दिल में बीती
कोई क्या जाने
कैसे बीती..
कोई क्या जाने
कि क्या बीती..
वो दिल जो लगाते
तो सुन पाते
दिल की हर धड़कन
क्या क्या कहती
कोई क्या जाने
कैसे बीती..
कोई क्या जाने
कि क्या बीती..
इंतज़ार तो उनका
मैंने रोज़ किया
कभी आ जाती
कभी वो न आती
कोई क्या जाने
कैसे बीती..
कोई क्या जाने
कि क्या बीती..
मुस्कुरा के वो बस
आगे बढ़ जाते
मुझे छीन के मुझसे
वो ले जाती
कोई क्या जाने
कैसे बीती..
कोई क्या जाने
कि क्या बीती..
उस एक हंसी से
मैं जी जाता
उस एक हंसी पे
जान निकल जाती
कोई क्या जाने
कैसे बीती..
कोई क्या जाने
कि क्या बीती..
मेरा हर एक दिन
इंतज़ार में डूबा
और याद में उनकी
हर रैना बीती
कोई क्या जाने
कैसे बीती..
कोई क्या जाने
कि क्या बीती..
उन्हें पता न होगा
कोई कितना चाहे
उन्हें मांग मांग कर
हर दुआ बीती
कोई क्या जाने
कैसे बीती..
कोई क्या जाने
कि क्या बीती..
पर साथ ग़ैर के
वो चले गए
राह तकती मेरी
घड़ियाँ बीती
कोई क्या जाने
कैसे बीती..
कोई क्या जाने
कि क्या बीती..
ये इनाम इश्क़ का
महबूब न मिलता
इस ख़ज़ाने से बस
यादें मिलती
कोई क्या जाने
कैसे बीती..
कोई क्या जाने
कि क्या बीती..
इससे अच्छा तो
वो न मिलते
ये दर्द न होता
ये तड़प न मिलती
कोई क्या जाने
कैसे बीती..
कोई क्या जाने
कि क्या बीती..
उन आँखों को मैं
कैसे भूलूँ
जिन आँखों में सारी
दुनिया बसती
कोई क्या जाने
कैसे बीती..
कोई क्या जाने
कि क्या बीती..
अब याद मुझे जब
वो आ जाते हैं
आँखें पहले सी
गीली होती
कोई क्या जाने
कैसे बीती..
कोई क्या जाने
कि क्या बीती..
-मंजुसुत ईशांश