तोसे कभी भी कुछ
कहे नहीं हैं,
मेरे नैना तेरे नैनों से
कभी मिले नहीं हैं..
कितनी दफा ये नज़रें
तेरी नज़रों से मिलने गईं,
हर दफा बस तेरा
चेहरा ही छूकर आईं,
दिल की प्यास बढ़ाते हैं
कभी बुझाते नहीं हैं..
मेरे नैना तेरे नैनों से
कभी मिले नहीं हैं..
अजब ही इनकी हालत है,
तेरे चेहरे की
न जाने इनको क्या आदत है,
तू सामने हो न हो,
तेरा चेहरा एक पल कभी
भुलाते नहीं हैं..
मेरे नैना तेरे नैनों से
कभी मिले नहीं हैं..
तेरी कोई ख़ता नहीं
कि गुस्ताख़ तो यहीं है,
जब कभी तेरी नज़रें
मेरी तरफ बढ़ें,
ये फिर जाते हैं,
ये झुक जाते हैं,
खुद ही दिल की बात तुझे
कभी बताते नहीं हैं..
मेरे नैना तेरे नैनों से
कभी मिले नहीं हैं..
ये पागल कैसे डरते हैं,
कि आखों से आँखें
जो मिल गईं,
दिल की बात दिल तक
जो पहुँच गई,
खुदा जाने क्या होगा,
खुदा जाने क्या न होगा,
इस कश्मकश में
मेरे दिल की बात आगे
कभी बढ़ाते नहीं हैं..
मेरे नैना तेरे नैनों से
कभी मिले नहीं हैं..
तोसे कभी भी कुछ
कहे नहीं हैं,
मेरे नैना तेरे नैनों से
कभी मिले नहीं हैं..
-मंजुसुत इशांश