खुले आसमान के नीचे
एक सुनसान सूनी सहमी
कुछ कदमों की प्यासी सड़क है..
कहीं एक खाली सड़क है..
वो ना जाने
कहाँ से आती है,
वो ना जाने
कहाँ को जाती है,
ना नाम है कोई,
ना निशान है कोई,
बस अकेली गुमनाम सड़क है..
कहीं एक खाली सड़क है..
किनारे के पेड़ों के पत्ते
जो कभी सजाते थे उसे,
वो हरी भरी डालें
जो कभी संवारती थीं उसे,
वो पत्ते खो गए,
वो डालें टूट गईं,
सूखे पेड़ों के बीच
एक अकेली उदास सड़क है..
कहीं एक खाली सड़क है..
डालों पे कभी
कुछ पंछी आ जाते थे,
खेलते, लड़ते, उड़ते, उछलते
कुछ मीठे गीत सुना जाते थे,
अब एक पंछी न दिखे,
एक साया न मिले,
बीते वक़्त को याद करती
एक मुरझाई ख़ामोश सड़क है..
कहीं एक खाली सड़क है..
जो बरसात हो
तो आँखें भिगा लेती है,
जब सूरज जले तो
दिल अपना जला लेती है,
बिजली चमके अगर
तो डर जाती है,
चाँदनीं बरसे अगर तो
मुस्कुरा जाती है,
सब सहती, चुप रहती,
एक बेआवाज़ अनजान सड़क है..
कहीं एक खाली सड़क है..
जाने कब से पलकें खुली हैं,
थकी निगाहें जाने कब से बिछी हैं,
कि इक राही तो आ जाये,
कोई एक साथी तो आ जाये,
कभी न ख़त्म होते
इंतज़ार में डूबी सड़क है..
कहीं एक खाली सड़क है..
जाने किस मंज़िल से मिली है,
जाने किस साहिल से जुड़ी है,
कोई राही कभी चले,
तो सड़क से फिर राह बने,
यही तो मंज़िल, रस्ते
और सड़क में फरक है..
कहीं एक खाली सड़क है..
एक सुनसान सूनी सहमी
कुछ कदमों की प्यासी सड़क है..
कहीं एक खाली सड़क है..