ज़मीं पे निगाह रख चलने वाला
आसमां से टकरा गया,
मिट्टी से कभी अपने ख़्वाब रंगने वाला,
सितारों से सपने सजा गया|
कभी एक रोटी उसकी चाह थी
कभी बहुत छोटी उसकी राह थी,
छोटे छोटे कदम बढ़ाते हुए
वो एक लम्बी छलांग लगा गया,
मिट्टी से कभी अपने ख़्वाब रंगने वाला,
सितारों से सपने सजा गया|
किसी से आँख मिलाने से जो डरता था
सब से अपना रस्ता बचा के जो चलता था,
धीरे धीरे अपनी आशाओं के सागर में
अपनी एक अलग कश्ती तैरा गया,
मिट्टी से कभी अपने ख़्वाब रंगने वाला,
सितारों से सपने सजा गया|
कभी कुछ लोग उसपे हँसते थे
भले बुरे ताने कसते थे
उनके ठहाकों को दिल से लगा
संघर्ष की अग्नि से वो खुद को चमका गया,
मिट्टी से कभी अपने ख़्वाब रंगने वाला,
सितारों से सपने सजा गया|
जीवन के कई पल उसने अकेले काटे थे
कुछ ही अफ़साने किसी के साथ बांटे थे
तन्हाई में खुद से बातें करते,
अपने ख्यालों में बुनी,
एक हसीन दास्ताँ वो सबको सुना गया,
मिट्टी से कभी अपने ख़्वाब रंगने वाला,
सितारों से सपने सजा गया|
ज़मीं पे निगाह रख चलने वाला
आसमां से टकरा गया||